सीतापुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल|Sitapur tourist places

सीतापुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों (Sitapur tourist places) के बारे में बात करे तो यहाँ बहुत फेमस पर्यटन स्थल हैं, जिनमे से मिश्रिख, नैमिष धाम, हनुमान गढ़ी, माँ ललिता देवी , श्यामनाथ मंदिर,महमूदाबाद किला या कोठी, संकटा देवी मंदिर, पत्थर शिवाला, बिसवां, सीतापुर आंख का अस्पताल आदि सीतापुर के मुख्य पर्यटन स्थल हैं।

इस आर्टिकल में सीतापुर की फेमस जगह (sitapur ki famous jagah), सीतापुर में घूमने की जगह (sitapur me ghumne ki jagah), सीतापुर के फेमस मंदिर (famous temple in sitapur) और सीतापुर के दार्शनिक स्थल (sitapur ke darshnik sthal) के बारे में नीचे बताया गया है।

नैमिषारण्य

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित जिला सीतापुर में यह गोमती नदी के बाएं तट पर स्तिथ एक पवित्र तीर्थ है।
मार्कण्डेय पुराण में अनेक बार इसका उल्लेख 88000 ऋषियों की तपःस्थली के रूप में आया है।

कहा जाता है कि जब देवताओं का दल महादेव के नेतृत्व में ब्रह्मा के पास असुरों के आतंक से पीड़ित होकर पहुँचा, तो ब्रह्मा ने अपना चक्र छोड़ा और उन्हें वह स्थान तपस्या के लिए निर्देशित किया जहाँ चक्र गिरे। नैमिष में चक्र गिरा अत: वह स्थल आज भी चक्रतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है। चक्रतीर्थ षट्कोणीय है।

पवित्र जल नीचे के सोंतों से आता है और एक नाले के द्वारा बाहर की ओर बहता रहता है, जिसे ‘गोदावरी नाला’ कहते हैं। अगर हम नैमिषारण्य के दर्शनीय स्थल के बारे में बात करें तो यहां, चक्र तीर्थ के अतिरिक्त व्यासगद्दी, ललिता देवी का मंदिर, भूतनाथ का मंदिर, कुशावर्त, ब्रह्मकुंड, जानकीकुंड और पंचप्रयाग आदि आकर्षक स्थल हैं।

हनुमान गढ़ी|Hanuman garhi in naimisharanya

हनुमान गढ़ी सीतापुर की फेमस जगहों(sitapur ki famous jagah) में से एक है जो नैमिषारण्य में स्थित एक पवित्र स्थान है जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसे बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है।

भगवान श्रीराम और रावण युद्ध के दौरान जब अहिरावण ने राम तथा लक्ष्मण का अपहरण किया था, तब हनुमान जी पातालपुरी जाकर अहिरावण का वध किये थे ,और वहां से भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को अपने कंधों पर बैठाकर यही से दक्षिण दिशा की तरफ यानि लंका की ओर प्रस्थान किया। अतः यहां दक्षिणमुखी हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई।

महाभारत के बाद 12 वर्ष तक यहीं पर पांडवो ने तपस्या की थी, जोकि दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

दधीचि कुंड|Dadhichi kund in hindi

सीतापुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में दधीचि कुंड प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह नैमिषारण्य से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर मिश्रिख में स्थित है। यह कुंड महर्षि दधीचि जी का आश्रम हुआ करता था।

हिन्दू ग्रंथो के अनुसार, जब पूरा विश्व वृत्तासुर नामक राक्षस से परेशान हो गया था तब भगवान श्री विष्णु द्वारा बताया गया की इस नरसंहार से सिर्फ एक ही तपस्वी बचा सकता है और वह हैं महराज महर्षि दधीचि, उनकी अस्थियों से ही उन शास्त्रों का निर्माण होगा जिससे दैत्य राज वृत्तासुर के आतंक को नष्ट किया जा सकता है।

इस पर महर्षि दधीचि ने यह कहा कि हे देवराज, विश्व कल्याण के लिए मैं अपनी अस्थियों का दान देने की लिए तैयार हूं। परंतु उससे पहले मैं अपने जीवनकाल में समस्त तीर्थों का स्नान करना चाहता हूं। इस कारण देवताओं ने आवाहन करके ब्रम्हांड के समस्त तीर्थों को मिश्रित में ही बुलाया और एक कुंड का निर्माण किया जिसको मिश्रिख तीर्थ या दधीचि कुंड के नाम से जाना जाता है।

महमूदाबाद किला या कोठी। Mahmudabad kila

महमूदाबाद एस्टेट की स्थापना 1677 में इस्लाम के पहले ख़लीफ़ा के वंशज राजा महमूद ख़ान ने की थी। कोठी, या महल, 20 एकड़ के परिसर का हिस्सा है जिसे किला या कोठी कहा जाता है।

ब्रिटिश युग के दौरान महमूदाबाद किला को एक आवासीय परिसर के रूप में उपयोग किया गया।

महमूदाबाद किला बहुत पुरानी कोठी है यह महमूदाबाद टाउन के बीचों बीच में स्थित है। यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है जिनमे कुछ बॉलीवुड की और कुछ भोजपुरी फिल्में हैं।

संकटा देवी मंदिर महमूदाबाद|Sankata devi mandir mahmudabad

यह मंदिर महमूदाबाद में स्थित सबसे बड़ा मंदिर है और बहुत ही सुन्दर है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार बनाये गए हैं। जिनमें मध्य द्वार पर महाभारत के दौरान अर्जुन को गीता का संदेश देते भगवान कृष्ण की झांकी बनाई गयी है। यहां नवरात्रों में बड़ा सा मेला लगता है।

यहां पर बड़ी संख्या में लोग सत्य नारायण की कथा सुनने आते हैं और हजारों की संख्या में बच्चों के मुंडन, अन्नप्रासन व वरवधु के विवाह सपन्न कराये जाते हैं। इस पवित्र स्थान पर आपको भगवान शिव और माता दुर्गा जी की सुन्दर प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं।

मंदिर के दाहिनी ओर के विशाल सरोवर में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा की छटा देखते लायक है। इस मंदिर एवं शिव मूर्ति की स्थापना नेपाल देश के शिव मंदिर की तर्ज पर हुई थी। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग प्रदेश के कोने कोने से आते हैं। यहां से बाराबंकी जिला लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

यह महमूदाबाद रेलवे स्टेशन से लगभग 1 की दूरी पर स्थित है।

आंख का अस्पताल सीतापुर|Eye hospital sitapur

सीतापुर आँख अस्पताल विश्व के सर्वोत्तम सुसज्जित नेत्र अस्पतालों में से एक है। आई हॉस्पिटल, सीतापुर की शुरुआत वर्ष 1926 में सीतापुर से जुड़े एक छोटे से शहर खैराबाद में हुई थी। इस अस्पताल के संस्थापक डॉ. महेश प्रसाद मेहराय थे। जो की खैराबाद में जिला बोर्ड डिस्पेंसरी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी थे।

उस ज़माने में सीतापुर में कोई ऐसा आई हॉस्पिटल नहीं था जहां पर आँखों का सम्पूर्ण इलाज किया जा सके। इन सब दिक्कतों को देखते हुए डॉ. महेश प्रसाद मेहराय जी ने एक ऐसा हॉस्पिटल बनाने के लिए सोचा जिसमें वो नेत्र रोगियों का सम्पूर्ण इलाज कर सकें।

पहले यह अस्पताल खैराबाद में ही खोला गया था। जिसकी उपलब्धि के बाद उन्होंने अस्पताल को मुख्य शहर सीतापुर में 1 अक्टूबर, 1945 को नए परिसर के रूप में स्थानांतरित कर दिया।

श्यामनाथ मंदिर सीतापुर|Shyamnath mandir sitapur

श्याम नाथ मंदिर सीतापुर(Shyamnath shiv mandir sitapur) में स्थित भगवान शिव जी का मंदिर है, इस शिव मंदिर को 300-400 साल पहले बनाया गया था। जहां पर सावन में दूर दूर से कांवरिये काँवर लेके आते हैं। यह पुराने सीतापुर शहर में स्थित है। जो सीतापुर सिटी स्टेशन के पास में पड़ता है।

श्यामनाथ मंदिर का इतिहास

श्यामनाथ मंदिर सीतापुर का इतिहास (shyamnath mandir ka itihas) सन् 1800 से जुड़ा है कहा जाता है जब जंगलों की कटाई की जा रही थी, वहां एक पेड़ के नीचे श्यामनाथ गोस्वामी को एक बड़ा सा पत्थर मिला था। उसे श्यामनाथ ने साधारण पत्थर समझ कर तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन जैसे ही उसने इस पर वार किया, खून की धार बहने लगी।

श्यामनाथ ने समझा कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं है। इसे उन्होंने एक छोटा सा चबूतरा बनवा लिया और उसी चबूतरे पर इसे स्थापित कर दिया, और रोज़ पूजा अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे इसकी चर्चा सभी जगह फैल गई और लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। सन् 1870 में परमेश्वर गोस्वामी ने इसे एक छोटी सी मठिया के रूप में स्थायी कर दिया।

पत्थर शिवाला मंदिर बिसवां|Patthar shivala mandir biswan

पत्थर शिवाला मंदिर (patthar shivala biswan) जिला सीतापुर से 32 किलोमीटर की दूरी पर बिसवां में एक विशाल और प्रसिद्ध शिव मंदिर है।

कहा जाता है की बिसवां कस्बे से सटे रामपुरकला के राजा विषम्भर नाथ सिंह के सपने में भगवान शिव आये थे और सपने में भगवान शिव ने एक मन्दिर के निर्माण के लिए कहा। जिसके बाद सन 1914 को राजा विषम्भर नाथ सिंह ने प्रयागराज से साठ हजार मन पत्थर मंगवाया था और इसी पत्थर से एक भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य कराया जाने लगा। मंदिर निर्माण के कुछ समय ही राजा का देहांत हो गया जिसके बाद उनकी पत्नी रामकली ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा कराया।

माना जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग को स्थापित कराने के लिए राजस्थान से डेढ़ सौ पंडितों को बुलाया गया था। जिनके द्वारा मृतुन्जय जाप कर इस विशाल शिवलिंग को स्थापित कराया गया था। 

सरोजनी वाटिका पार्क|Sarojini vatika park

सरोजिनी वाटिका पार्क एक बहुत अच्छा पार्क है जहां आप अपने परिवार, दोस्त और बच्चों के साथ टहलने जा सकते हैं। यह हरियाली और स्वच्छता से भरपूर पार्क है, जिसमें आपको घोड़े की मूर्ति देखने को मिलती है। जिससे आप अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए कुछ तस्वीरें क्लिक कर सकते हैं। यहां पर बच्चों के लिए कई झूले हैं।

इलसिया पार्क सीतापुर|Elasiya park sitapur

सीतापुर इलसिया पार्क सीतापुर का पिकनिक स्पॉट कहा जाता है। यह पार्क सीतापुर शहर से थोड़ा बाहर शाहजहांपुर को जाने वाली सड़क पर पड़ता है। यहां पर बहुत सारे जीव जंतु और हरे भरे पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं।
इसके साथ ही बोटिंग की सवारी करने का भी अवसर मिलता है। आपको खूबसूरत मछलियों के साथ इक्विरियम भी देखने को मिलता है जो की मुफ़्त है।

तिकोनिया पार्क

तिकोनिया पार्क, जिसे महावीर उद्यान या महावीर पार्क के नाम से भी जाना जाता है, सीतापुर का सबसे स्वच्छ, हरित और सुंदर पार्क है।

यहाँ लोग सुबह योगा करने, खेलने, टहलने और अपने साथी संग अच्छा समय बिताने आते हैं। पार्क में हरे-भरे पौधों की खूबसूरती और साफ़ वातावरण पार्क को और भी आकर्षक बनाते हैं।

हाल ही में, इस पार्क में बच्चों के लिए झूले और स्लाइड्स भी लगाए गए हैं, जिससे यह उनके लिए मनोरंजन का एक सुन्दर पार्क बन गया है।

यहाँ पर आपको, लोग अपने परिवार के साथ आकर्षक खेलों के साथ बैडमिंटन खेलते दिखाई देते हैं और किनारे ताइक्वांडो की कक्षाएँ भी होती हैं। संक्षेप में कहें तो, यह एक शांतिपूर्ण स्थल है जहाँ पर आप हल्का-फुल्का टहलने और परिवार के साथ मनोरंजन का आनंद ले सकते हैं ।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQ)

सीतापुर आई हॉस्पिटल क्यों प्रसिद्ध है?

यह 1926 से संचालित विश्व के सर्वोत्तम साफ और स्वच्छ नेत्र अस्पतालों में से एक है।

सीतापुर क्यों प्रसिद्ध है?

सीतापुर हिन्दू पौराणिक और ऐतिहासिक भूमिका के कारणों से भारत में प्रसिद्ध है

सीतापुर में कितनी नदियां हैं?

सीतापुर की मुख्य नदियाँ गोमती, चौका, घाघरा हैं और उनकी सहायक नदियाँ सरैन, पिरई, गोंड, गोदिया, केवानी, गादिया, इखरिया आदि हैं।

सीतापुर के राजा का क्या नाम था?

राजा विक्रमादित्य सीतापुर के राजा के रूप में जाने जाते हैं।उन्होंने इसे भगवान राम की पत्नी सीता के नाम पर बसाया था।

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