प्रयागराज के प्रमुख पर्यटन स्थल: | Prayagraj me ghumne ki jagah

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रसिद्ध जिला है। आज हम इसी प्रसिद्ध जिले में घूमने(Prayagraj me ghumne ki jagah) की जगहों के बारे में जानेंगे। यह शहर कई कारणों से प्रसिद्ध है जैसे – भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का आवास, प्रयागराज संगम, कुंभ मेला, सोमेश्वर महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर आदि।

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प्रयागराज के बारे में

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश राज्य के बड़े नगरों में से एक है। यह शहर गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर बसा हुआ है। संगम स्थल को त्रिवेणी संगम कहा जाता है एवं यह हिन्दु धर्म के लिए पवित्र स्थल है। माना जाता है, प्रयाग वर्तमान में प्रयागराज आर्यों की प्रारंभिक बस्तियां स्थापित हुई थी।

“प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।” — प्रयाग के प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का विनाश हो जाता है।

प्रयागराज, अपने गौरवशाली अतीत एवं वर्तमान में भारत के ऐतिहासिक एवं पौराणिक शहरों में से एक है। इस शहर को हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति कहा जाता है। प्रयागराज मुख्य रूप से एक प्रशासनिक एवं शैक्षिक नगर है। यहां कई प्रमुख संस्थान हैं – इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश के महालेखा परीक्षक, रक्षा लेखा के प्रमुख नियंत्रक (पेंशन) पीसीडीए, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद, पुलिस मुख्यालय, मोती लाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, मेडिकल और कृषि कॉलेज, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), आईटीआई नैनी और इफ्को फुलपुर, त्रिवेणी ग्लास

प्रयागराज का आनंद भवन | Anand bhawan in hindi

आनंद भवन प्रयागराज का ऐतिहासिक भवन व संग्रहालय है। आनंद भवन का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है।

आनंद भवन को श्रीमान मोतीलाल नेहरू ने 1930 में अपने परिवार के निवास के लिए खरीदा था। बाद में इसको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्थानीय मुख्यालय में बदल दिया गया और स्वराज भवन या आनंद भवन से संभोधित किया जाने लगा।

जब 1970 में इंदिरा गाँधी जी प्रधानमंत्री चुनी गयीं तो उन्होंने आनंद भवन को भारत सरकार को दान में दे दिया।लगभग 40 साल निवास करने के बाद आनंद भवन को भारत सरकार को दान में दे दिया गया था।

आज के समय में आनंद भवन प्रयागराज को एक संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया है। जहां पर आपको स्वतंत्रता आंदोलन के युग की विभिन्न कलाकृतियां और लेख देखने को मिलते हैं।

आनंद भवन प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समय सुबह 9:30 बजे से शाम 5 बजे तक
दिन मंगलवार से रविवार तक (सोमवार और सरकारी छुट्टियों पर बंद रहता है)
भारतीय पर्यटक टिकट 10 रुपए प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक टिकट 100 रुपए प्रति व्यक्ति
बच्चे (पांच साल तक) टिकट मुफ्त
फोन +91-5322467071
आस-पास जवाहर तारामंडल, प्रयाग स्टेशन
पता आनंद भवन सब्जी मंडी रोड, गोविंदपुर, तेलियरगंज,प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211004, भारत

जवाहर नक्षत्रशाला

प्रयागराज का जवाहर तारामंडल घूमने के लिए एक प्रमुख जगह है। इसके अंदर आपको सुन्दर और आकर्षित करने वाली नक्षत्रशाला भी देखने को मिलती है। जिसे जवाहर नक्षत्रशाला या जवाहर तारामंडल के नाम से जाना जाता है।

यहां पर विज्ञान से संबंधित बहुत सारी वस्तुएं देखने के लिए मिलती हैं। जवाहर तारामंडल में स्काई शो होता है। इस कार्यक्रम में आप को खगोल अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित जानकारियां मिलेगी और इसमें डिजिटल त्रिआयामी आकाशीय कार्यक्रम भी होता है, जो बहुत मनोरंजक होता है और बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक होता है।

यहां पर प्रत्येक वर्ष भारत के पहले प्रधानमंत्री की जयंती (14 नवंबर) को, ‘जवाहरलाल नेहरू स्मारक लेक्चर’ का आयोजन होता है।

जवाहर तारामंडल, जुलाई 2009 में स्कूली बच्चों को सूर्यग्रहण देखने का प्रशिक्षण दिया गया था।

जवाहर तारामंडल का समय और पता | allahabad museum ticket price

समय सुबह 9 :30 से शाम 5 बजे तक
दिन सोमवार और अन्य सरकारी छुट्टी पर बंद रहता है।
टिकटम्यूज़ियम :
ग्राउंड फ्लोर – 20 रूपये
दोनों फ्लोर – 70 रूपये
तारामंडल शो – 60 रूपये
फ़ोन+91-5322467071
पताआनंद भवन सब्जी मंडी रोड, गोविंदपुर, तेलियरगंज,प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211004, भारत

प्रयागराज किला

यह किला मुगल सम्राट अकबर द्वारा वर्ष1583 में इलाहाबाद (प्रयागराज) में बनवाया गया था। यह किला संगम के निकट, यमुना के तट पर स्थित है । इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में निहित किया गया है।
यह अकबर के द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा किला है और अपने खास स्ट्रक्चर और खूबसूरत नक्काशी के लिए फेमस है।
किले में तीन विशालकाय गलियारे हैं, जिनमे तीन टावर हैं जोकि दिखने बहुत ही आकर्षक और ऊँचे हैं। वर्तमान में इसका इस्तेमाल भारतीय सेना कर रही है और इसका कुछ हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खुला है।

प्रयागराज किला का समय, टिकट दर और पता

समय सुबह 7 से शाम 6 बजे तक
दिन प्रतिदिन
टिकट मुफ्त
आसपासपातालपुरी मंदिर, संगम
पता प्रयागराज किला, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211005

प्रयागराज का अशोक स्तम्भ

प्रयागराज में ऐतिहासिक दृष्टि से सम्राट अशोक का स्तंभ सबसे महत्वपूर्ण वस्तुओं में से एक है। 232 ईसा पूर्व में इस स्तंभ की लेखों से पुष्टि होती है कि प्रयागराज शहर ने बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह भव्य स्तंभ पॉलिश किए बलुआ पत्थर से निर्मित है। सम्राट अशोक ने देश के कई भागों में कई स्तूप और स्तंभ बनवाये थे। इनमें से अशोक स्तम्भ को भारत का राष्ट्रीय प्रतीक माना गया। इसका वज़न 493 कुंटल और लंबाई 35 फीट है।

अशोक स्तंभ प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक
दिन प्रतिदिन
टिकट यह स्तंभ सबके लिए उपलब्ध नहीं है देखने के लिए सरकार या प्रयागराज के प्रशासनिक अधिकारी की परमीशन लेनी जरूरी है
आसपास प्रयागराज किला, दारागंज रेलवे स्टेशन
पता अशोक स्तंभ, प्रयागराज किला, प्रयागराज उत्तर प्रदेश 211005

ऑल सेंट कैथेड्रल

ऑल सेंट्स कैथेड्रल को पत्थर गिरिजाघर या पत्थर की चर्च के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तर भारत के चर्च से संबंधित है। इसको एशिया की श्रेष्ठ इंग्लिश कैथोलिक सभाओं में से एक माना जाता है। एक प्रभावशाली औपनिवेशिक संरचना, यह 13वीं सदी की गोथिक वास्तुकला की शैली में बनाई गई थी। इस कैथेड्रल के डिज़ाइन को साल 1871 ई. में प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर विलियम एमरसन ने तय किया था (इन्होंने कोलकाता में स्थित विक्टोरिया मेमोरियल को भी डिज़ाइन किया था।)।

पत्थर की चर्च प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समय सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक
दिन प्रतिदिन
टिकट मुफ्त
आसपास प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन,
पता सरोजनी नायडू मार्ग, सिविल लाइन्स, प्रयागराज उत्तर प्रदेश 211001

न्यू यमुना ब्रिज

प्रयागराज में केबल स्टे ब्रिज को नया यमुना ब्रिज के नाम से जाना जाता है। इस पुल का निर्माण साल 2004 में किया था। जिसका उद्देश्य पुराने नैनी पुल पर यातायात को कम करना था।
नैनी ब्रिज इलाहाबाद को शहर का प्रमुख स्थल माना जाता है। क्योंकि यहां से आप यमुना नदी का खूबसूरत व्यू देख सकते हैं। और इसके साथ ही आप यहां से संगम का भी नजारा ले सकते हैं। इस ब्रिज के आस पास बहुत सारी घूमने की जगहें हैं, जहां आप घूम सकते हैं मस्ती कर सकते हैं। यह शहर का एक सेल्फी प्वाइंट भी है।

यमुना ब्रिज प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समय 24 घंटे
दिन प्रतिदिन
टिकट मुफ्त
आसपास प्रयागराज जंक्शन (6km)
पता यमुना ब्रिज, नैनी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211007

अरेल गंगा घाट

अरेल गंगा घाट को एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। यह प्रयागराज में स्थित प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यह त्रिवेणी संगम के दूसरे छोर पर स्थित है। यहां पर लोग स्नान करने, पूजा, हवन और भोजन करने के लिए आते है। शाम के समय अरैल घाट का दृश्य बहुत सुंदर दिखाई देता है। नदी का किनारा, लहरें इसको और आकर्षक बना देती हैं। यदि आपको शांत वातावरण पसंद है तो आपको अरैल घाट अवश्य जाना चाहिए।

अरेल गंगा घाट प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समय सुबह 4 बजे से रात 8:30 बजे तक
दिन प्रतिदिन
टिकट मुफ्त
बोट राइड – 230 रुपए प्रति व्यक्ति
आसपासप्रयागराज शहर, गंगा ब्रिज, यमुना ब्रिज, किला
पता अरैल रोड नियर फलहारी आश्रम, अरैल, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211008

त्रिवेणी संगम

त्रिवेणी, तीन नदियों का संगम है, यहां गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन होता है। यह संगम देश में ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना के बाद भारतीय संस्कृति में सरस्वती को अधिक महत्व दिया जाता है।
प्रयागराज संगम पर प्रत्येक बारहवें वर्ष पूर्ण कुंभ का तथा प्रत्येक छठे वर्ष अर्धकुंभ मेलों का आयोजन बड़े धूम धाम से होता है। कुंभ मेले के उपलक्ष्य में यहां लाखों-करोड़ों भक्तों की भीड़ उमड़ती है और प्रत्येक श्रद्धालु व् भक्त यहां के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं।

प्रयागराज संगम का समय, टिकट दर और पता

समयसुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक।
दिनप्रतिदिन
टिकटमुफ्त
आस-पासअक्षयवट, प्रयाग किला, शंकर विमान मंदिर, यमुना ब्रिज
पताकुंभ मेला एरिया 1, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211055

अक्षय वट

अक्षय का मतलब होता है जिसका किसी काल में क्षय न होता हो मतलब की विनाश न होता हो। हर युग से इस अक्षय वट की कथा जुड़ी है जैसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का बालमुकुंद अवतार हुआ। त्रेता युग में भगवान राम ने यहां अपने पिता का पिंडदान किया। इसके अलावा अज्ञातवास के समय पांडव भी आये। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया इस अक्षयवट के निचे। तो इससे ही कहा जाता है यह वृक्ष हर युग में विद्यमान है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने उल्लेख किया है –

“त्रिवेणी माधवं सोमं भारद्वाजं च वासुकीम्‌।
वन्दे अक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्‌॥”

अर्थात : प्रयागराज के आठ श्रद्धा केंद्रों में त्रिवेणी, माधव, भारद्वाज, नागवासुकि, अक्षयवट, शेष भगवान और स्वयं तीर्थराज को शामिल किया गया है।

इस वट वृक्ष के दर्शन से प्रयागराज में आने का फल मिलता है। प्रयाग की पचकोशी यात्रा व परिक्रमा का फल मिलता है। इस वट वृक्ष के जड़ों पर प्रतिमाएं लगी हुई जिसे देवांगन कहा जाता है जहां पर आपको 44 मूर्तियों का दर्शन करने को मिलता है। हिन्दु धर्म के अलावा जैन और बौद्ध भी इसे पवित्र मानते हैं। माना जाता है भगवान बुद्ध ने कैलाश पर्वत के निकट प्रयाग के अक्षय वट का एक बीज बोया था। जैनों का मानना है कि उनके तीर्थंकर ऋषभदेव ने इस वट के नीचे तपस्या की थी। प्रयागराज के इस स्थान को ऋषभदेव तपोस्थली या तपोवन के नाम से भी पुकारा जाता है।

अक्षयवट प्रयागराज का समय, टिकट दर और पता

समयसुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक।
दिनप्रतिदिन
टिकटमुफ्त
आस-पासप्रयागराज किला
पताप्रयागराज किला, उत्तर प्रदेश 211005

बड़े हनुमान जी मंदिर

प्रयागराज में गंगा यमुना के तट के निकट बड़े हनुमान जी का मंदिर है। इन्‍हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। यहां जमीन से नीचे हनुमानजी की मूर्ति लेटे हुए अवस्था मे है तथा हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को दबाये हुए अवस्था में हैं। यह एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। यह मंदिर हिन्दुओ के लिए अति श्रद्धा का केंद्र और दर्शनीय है। यहां मंगलवार और शनिवार को भारी भीड़ उमड़ती है। संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालु यहां दर्शन करना नहीं भूलते।

बड़े हनुमान मंदिर प्रयागराज का समय और पता

समयसुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक। शाम 4 बजे से – रात 9.30 बजे तक।
दिनप्रतिदिन
टिकटमुफ्त
आस-पासत्रिवेणी संगम, प्रयागराज किला
पतासीवाई चिंतामणि रोड, दरभंगा कॉलोनी, जॉर्ज टाउन प्रयागराज उतर प्रदेश 211002

अलोपी देवी मंदिर

प्रयागराज के अलोपी बाग़ में स्थित यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इसके दर्शन के लिए बहुत दूर दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर की विशेषता है की यहां कोई मूर्ति नहीं है बल्कि सिर्फ एक पालना है जिस पर श्रद्धालु फूल, धूप और सिंदूर से पूजा अर्चना करते हैं। इस पालने के तार लाल रंग से ढके रहते हैं। यह त्रिवेणी संगम, वेणी माधव मंदिर और नागवासुकी मंदिर के पास में स्थित है।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के जले हुए शरीर को लेकर पूरे ब्रम्हांड में भ्रमण कर रहे थे, तब विष्णु भगवान ने शिव के दर्द को दूर करने के लिए अपने चक्र को माता सती के शव पर छोड़ दिया।जिसके बाद यहां पर सती के शरीर का अंतिम अंग गिरा था, और फिर यहीं से सती का संपूर्ण शरीर लुप्त हो गया था। इसलिए इस जगह को अलोपी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा जिसका मतलब है विलुप्त होना।

अलोपी देवी मंदिर प्रयागराज का समय, महत्वपूर्ण दिन और पता

समयसुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक
महत्वपूर्ण दिनमंगलवार और शुक्रवार
आस-पासअलोपी बाग़
पताअलोपीबाग दारागंज, प्रयागराज

खुसरो बाग

प्रयागराज शहर के इस ऐतिहासिक व् विशाल बाग में खुसरौ, उसकी बहन और उसकी राजपूत मां का मकबरा बना हुआ है। खुसरौ सम्राट जहांगीर के सबसे बड़े पुत्र थे। इस बाग़ का संबंध भारत के स्वतंत्रता संग्राम से भी है। इस चारदीवारी के भीतर तीन बलुआ पत्थर के मकबरे, मुगल वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण हैं। इसके मुख्य प्रवेश द्वार पर, बगीचों और सुल्तान बेगम के तीन-स्तरीय मकबरे के डिजाइन बहुत सुंदर और मनमोहक है।

खुसरो बाग़ का समय, टिकट दर और पता

समयसुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक।
दिनप्रतिदिन
टिकटमुफ्त
आस-पासप्रयागराज रेलवे स्टेशन
पताखुसरो बाग़ ,लुकारगंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 211016

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर। FAQ

प्रयागराज में कितने पर्यटन स्थल हैं?

प्रयागराज में बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं जैसे खुसरो बाग़, त्रिवेणी संगम, अक्षय वट, प्रयागराज किला, शहीद पार्क और जवाहर तारामंडल आदि।

प्रयागराज जाने के लिए कितने दिन चाहिए?

अगर आपको प्रयागराज टहलने जाना है तो आपको कम से कम दो दिन का समय निकलना पड़ेगा क्योंकि यहां बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं।

इलाहाबाद जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

प्रयागराज घूमने का अच्छा समय अक्टूबर से मार्च माना जाता है क्योंकि इस टाइम जनवरी में कुंभ मेले का आयोजन होता है।

प्रयागराज का दूसरा नाम क्या है?

प्रयागराज को भूतकाल में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था इसके अलावा इसको संगमनगरी, कुंभनगरी, तंबूनगरी या प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है।

प्रयागराज में कौन कौन सी नदियों का संगम है?

प्रयागराज संगम तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती से मिलकर बना है। जिसे त्रिवेणी संगम या प्रयागराज संगम के नाम जाना जाता है।

निष्कर्ष

आशा करता प्रयागराज घूमने में आपको यह जानकारी सहायता करेगी। किसी भी त्रुटि के लिए हमें ईमेल (info@gyanpuram.com) करें।

धन्यवाद।

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