छोटा इमामबाड़ा का संक्षिप्त इतिहास |Chota Imambara history in hindi

परिचय:

छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा के पश्चिम में स्थित है । इसे खास त्योहारों, जैसे कि मुहर्रम, पर बहुत अच्छा सजाया जाता है ,सजावट के कारण इसको पैलेस ऑफ लाइट्स भी बोलते है।

1838 में अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। जिसका उद्देश्य शिया मुस्लिमों के लिए इमामबाड़ा या मीटिंग हॉल बनाना था।

मकबरा व ताज़िआ

यह एक मकबरा है जहां पर नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी माँ को दफनाया गया है

छोटा इमामबाड़ा, हुसैनाबाद की इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है, जो लखनऊ की अद्वितीय डिजाइन को प्रदर्शित करती है।

यहाँ के झूमर को बेल्जियम से लाया गया था। मुहम्मद अली शाह का मुकुट और ताज़िया भी इमारत के भीतर रखा है।

अच्छी सजावट, अद्भुत चमकती आंतरिक साज सज्जा और शानदार चांदेलियाँ इसके आकर्षण को बढ़ाती हैं।

दरवाजा और हॉल

इसमें पाँच प्रमुख द्वार और दो हॉल हैं । एक हॉल शहनशीन (एक प्लेटफ़ॉर्म जहां इमाम हुसैन की ज़रीह रखी जाती है) से मिलकर बना है। ज़रीह करबला, इराक में इमाम हुसैन की क़ब्र पर रखी जाने वाली सुरक्षा जाल या संरचना का प्रतिरूप है।

अज़ख़ाना का विशाल हरा और सफ़ेद बॉर्डर वाला हॉल चांदेलियाँ और एक अच्छी संख्या में क्रिस्टल ग्लास लैम्प स्टैंड से भरपूर ढंग से सजा हुआ है।

समय और टिकट दर

समयप्रातः 6 बजे से शाम 5 बजे तक।
दिन प्रतिदिन खुला रहता है।
टिकट यहाँ पर आपको किसी टिकट की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
पताबड़े इमामबाड़ा से क्लॉक टावर की तरफ लगभग 500 मीटर की दूरी पर।
फ़ोन नंबर09454 451263, 05223 303030

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