राम मंदिर अयोध्या की रोचक कहानी व् उसमें बन रहे मुख्य स्थल

आधुनिक इतिहास शास्त्रियों के अनुसार, 600 ईसा पूर्व तक अयोध्या एक महत्वपूर्ण व्यापार का केंद्र हुआ करता था। इस स्थान को विश्व स्तर पर पहचान प्राप्त हुई थी, 5वीं शताब्दी के मध्य में ईसा पूर्व के समय में, जब यह एक प्रमुख बौद्ध केंद्र के रूप में विकसित हुआ। उस समय इसका नाम ‘साकेत’ था, जो अयोध्या के राम जन्मभूमि का पौराणिक नाम भी था।

चीनी भिक्षु फा-हियान ने भी यहां अयोध्या राम मंदिर के साथ कई बौद्ध मठों के होने का वर्णन किया है। इसके साथ ही, 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग भी यहां आया था। उनके अनुसार, यहां पर 20 बौद्ध मंदिर थे जहाँ 3,000 भिक्षु रहते थे और इसके साथ ही, यहां पर हिन्दुओं का एक प्रमुख और अत्यंत भव्य अयोध्या राम मंदिर भी था, जहाँ पर रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते थे। वर्तमान में अयोध्या, उत्तर प्रदेश का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन गया।

इसके बाद प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार, ईसा की 11वीं शताब्दी में कन्नौज के राजा जयचंद का शासन आया तो उन्होंने अयोध्या राम मंदिर पर से सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेखों को उखाड़कर अपने नाम का नामकरण किया था। पानीपत के युद्ध के बाद, जयचंद का भी अंत हो गया।

इसके पश्चात्, सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमणों की बढ़ती हुई घातक घटनाएँ हुई। इन आक्रमणकारियों ने काशी और मथुरा के साथ-साथ अयोध्या के राम मंदिर में भी लूटपाट की और पुजारियों की हत्या कर मूर्तियों को तोड़ने का काम जारी रखा। हालांकि 14वीं सदी तक उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर को तोड़ने में कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई।

राम जन्मभूमि विवाद के रोचक तथ्य

  • सन् 1528-29 में, बाबर के सेनापति मीर बाकी के द्वारा राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद की नींव रखी गई थी। हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों रामायण और रामचरितमानस के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था।
  • सन् 1853 में, इस जमीन के चारों ओर विवाद बढ़ने लगे, हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। इसके परिणामस्वरूप स्थल को लेकर दोनों समुदायों में आपसी विरोध शुरुआत हुआ।
  • सन् 1859 में, अंग्रेजों ने विवाद को संभालते हुए, मस्जिद के अंदर मुस्लिमों को नमाज के लिए और हिन्दुओं को बाहर के हिस्से में पूजा के लिए आने का निर्णय दिया।
  • सन् 1949 में, मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति रख दी गई, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया। और सरकार ने द्वार को ताले से बंद कर दिया।
  • सन् 1986 में, जिला न्यायाधीश ने स्थल को हिन्दू समुदाय के लिए खोलने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप दूसरे धर्म के लोगों द्वारा एक विशेष कमेटी की स्थापना हुई जिसका नाम बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी रखा गया।
  • सन् 1989 में, विश्व हिन्दू परिषद ने स्थल की जमीन पर राम मंदिर की मुहीम शुरू की, जो विवाद का एक और नया मोड़ ले आया।
  • सन् 1992 के 6 दिसंबर को, हिन्दू राष्ट्रवादियों ने एक विशाल रैली के जरिये मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप देश में बड़े स्तर पर सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों लोगों की मौके पर मौत हो गई।
  • इसके दस दिन बाद, 16 दिसंबर 1992 को लिब्रहान आयोग गठित किया गया, जिसे मामले की जांच के लिए गठित किया गया। इस आयोग का नेतृत्व आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशएम.एस. लिब्रहान को सौंपा गया।
  • लिब्रहान आयोग को 16 मार्च 1993 को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था, लेकिन उसने रिपोर्ट तैयार करने में 17 साल लगा दिए।
  • सन् 2009 के 30 जून को, लिब्रहान आयोग ने 700 पन्नो की एक विशाल रिपोर्ट प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के समक्ष प्रस्तुत की, जिसमें स्थल के विवादित हिस्सों को चार भागों में बाँटने का सुझाव दिया गया।
  • इसके बाद जांच आयोग के कार्यकाल को 48 बार बढ़ाया गया।
  • सन् 2019 के 9 नवम्बर को, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में तय किया कि राम मंदिर बनाने के लिए स्थल पर केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर-अंदर एक संस्था की स्थापना करनी चाहिए। तत्पश्चात मंदिर का निर्माण शुरू किया जाय। साथ ही उन्होंने मुस्लिम पक्ष को स्थल के अंदर ही 5 एकड़ ज़मीन का दान करने का आदेश भी दिया।
  • इस बड़े आदर्श दिन के बाद, 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास किया गया। मंदिर की निर्माण कमेटी ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित किया और मंदिर के शिलान्यास का उद्घाटन उन्हीं द्वारा किया जाना तय किया।

राम मंदिर में बन रहे अन्य महत्वपूर्ण स्थल

क्रम सं.परिसर नामक्रम सं.परिसर नाम
1श्री रामकुंड – पवित्र यज्ञ शाला12पुरालेख एवं अनुसंधान केन्द्र
2कर्मक्षेत्र – पवित्र अनुष्ठान मंडप13प्रदर्शनी हॉल, झांकी परिसर
3वीर मारुति विशाल प्रतिमा14विशिष्ट सिनेमा/टेलीविजन/एवी आधारित
शो एवं प्रवचन थियेटर
4जन्मभूमि संग्रहालय15आधुनिक ए/सी पुस्तकालय और वाचनालय
5सत्संग भवन16माता सीता रसोई व्यवस्थित अन्नक्षेत्र
6रामलीला केंद्र, 360 डिग्री थिएटर/ओपन एयर थिएटर17बाहरी श्रद्धालुओं के लिए बहुमंजिला बोर्डिंग,
आवास सुविधा और प्रतीक्षा लाउंज
7भक्ति टीला18आदर्श गौशाला (गायों के लिए आश्रय)
8दीपस्तंभ लैंप टावर19लिली-तालाब और संगीतमय फव्वारे
9गुरु वशिष्ठ पीठ20युवाओं और बच्चों के लिए गतिविधियाँ क्षेत्र
10रामदरबार21मर्यादा खंड- विशेष अतिथि आवासीय क्षेत्र
11भरत प्रसाद-मण्डप

अयोध्या राम मंदिर की विशेषताएं

  • इस मंदिर का निर्माण 70 एकड़ भूमि पर किया जा रहा है
  • यह मंदिर 4 लाख घन मीटर पत्थर के उपयोग से बन रहा है।
  • मंदिर की लम्बाई 360 फीट होगी।
  • राम मंदिर की चौड़ाई 235 फीट होगी।
  • इसकी ऊचाई 168 फीट होगी
  • श्री राममंदिर 3 मंजिल का होगा।
  • इस मंदिर में आपको 5 गुम्बद देखने को मिलेगें।
  • भगवान श्री राम का दरबार पहले फ्लोर पर रहेगा।
  • इस मंदिर कुल 318 खम्भे बनाये जा रहे हैं।
  • हर एक खम्बे पर 16 मूर्तियों को तराशा जा रहा है।
  • इस मंदिर का निर्माण नागर शैली के अनुसार किया जा रहा है।
  • इस मंदिर का आर्किटेक्चर चंद्रकांत भाई सोमपुरा द्वारा किया गया है।
  • राम मंदिर का निर्माण एलएंडटी कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है।

निष्कर्ष

इस लेख मैंने अयोध्या के प्राचीन इतिहास और राम मंदिर विवाद के बारे में आपको बताया। इसके साथ ही अयोध्या राम मंदिर के अंदर बन रहे अन्य मंदिरों और स्थलों के बारे में आपको अवगत कराया।
आशा करता हूँ यह लेख आपके लिए जानकारीपूर्ण रहा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

धन्यवाद।

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